"मैं बहुत थक गई हूँ"
"किस बात से थक गई हो?"
"इन सभी लोगों से जो मुझे राय देते हैं"
"कौन राय देता है?"
"वह औरत हर बार जब भी मैं उसके साथ बैठती हूँ, वह मुझे हिजाब पहनने के लिए कहती है."
"ओह, हिजाब और संगीत! यह तो सभी विषयों की माँ है! "
"हाँ! मैं हिजाब के बिना संगीत सुनती हूँ ... हा हा हा! "
"हो सकता है वह सिर्फ आपको सलाह दे रही हो."
"मुझे उसकी सलाह की जरूरत नहीं है. मैं अपने धर्म को जानती हूँ. वह अपने खुद के काम में मन नहीं लगा सकती है?"
"शायद तुमने गलत समझा. वह सिर्फ तुम्हारे भले के लिए ही कह रही हो?"
"अगर वह मेरी बातों से दूर रहे तो अच्छा होगा..."
"लेकिन क्या यह उसका फ़र्ज़ नहीं है कि लोगों को अच्छे कामो के लिए प्रोत्साहित करे."
"मेरा यकीन करो, वह कोई प्रोत्साहन नहीं था. और तुम्हारा 'अच्छे कामों' से क्या मतलब है? "
"हिजाब पहनना एक अच्छी बात है."
"यह कुरान में है, है ना?"
"हाँ, उसने मुझे कुछ उदहारण दिए थे. " "उसने मुझे सुरह नूर और कुरान की कुछ और आयातों के बारे में बताया था."
"हाँ, लेकिन यह एक बड़ा गुनाह वैसे भी नहीं है. लोगों की मदद करना और नमाज़ पढना (पूजा करना) अधिक महत्वपूर्ण है. "
"यह सच है. लेकिन बड़ी बातें छोटी चीज़ों के साथ शुरू होती हैं. "
"यह एक अच्छी बात है, लेकिन आप क्या पहनते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है. एक नेक इंसान और लोगो से सहानुभूति रखने वाला होना जरूरी है."
"तुम क्या पहनती हो, क्या यह महत्वपूर्ण नहीं है?"
"बिलकुल नहीं"
"तो फिर तुम क्यों हर सुबह एक घंटा जिम में खर्च करती हो?"
"आपका क्या मतलब है?"
"आप सौंदर्य प्रसाधनों पर पैसे खर्च करती हैं? कहने की ज़रूरत नहीं है कि हर समय आप अपने बाल, चेहरा, शरीर और भोजन पर ध्यान देती हैं."
"तो?"
"तो, इसका मतलब यह की आपका व्यक्तित्व महत्वपूर्ण है."
"नहीं. मेरे हिसाब से हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में एक महत्वपूर्ण बात नहीं है. "
"यदि यह एक महत्वपूर्ण बात नहीं है, तो क्यों यह पवित्र कुरआन में वर्णित है?"
"मुझे लगता है कि मैं कुरआन की हर बात का पालन नहीं कर सकती हूँ."
"तुम्हारा मतलब है कि खुदा तुम्हें कुछ करने के लिए कहता है, और तुम उसकी बात नहीं मानती हो, यह ठीक है?"
"हाँ, खुदा माफ़ करने वाला है. "
"खुदा कहता कि वह उन लोगो को माफ़ कर देता है, जो लोग पश्चाताप करते हैं और अपनी गलतियों को नहीं दोहराते हैं."
"कौन कहता है?"
"ऐसा वही किताब बताती है जो कि आप को अपना शरीर ढंकने के लिए कहती हैं."
"मैं हिजाब पसंद नहीं करती हूँ, क्योंकि यह मेरी आज़ादी को छीनता है."
"लेकिन लोशन, लिपस्टिक, मस्कारा और अन्य सौंदर्य प्रसाधनों क्या तुम्हे आज़ाद रखते हैं? तुम्हारी आजादी की परिभाषा क्या है? "
"हम आज़ाद है वह सब करने के लिए जो हमें पसंद है."
"नहीं! स्वतंत्रता सही काम करने में है, ना कि वह सब करने में जिसकी हमें करने की इच्छा होती है."
"देखो! मैंने कितनी ही महिलाऐं को देखा है जो हिजाब नहीं पहनती हैं और एक अच्छी इंसान हैं, और बहुत सी जो हिजाब पहनती है परन्तु बुरी हैं."
"तो क्या? बहुत सारे अच्छे लोग हैं जो कि शराबी हैं, तो क्या हम सभी को शराबी हो जाना चाहिए? यह एक बेवकूफी भरी बात है."
"मैं एक अतिवादी या कट्टरपंथी नहीं बनना चाहती हूँ. मैं जैसी भी हूँ बिना हिजाब के ही ठीक हूँ."
"मतलब आप एक अतिवादी धर्मनिरपेक्ष तथा एक कट्टरपंथी नास्तिक हो"
"आप समझी नहीं, अगर मैं हिजाब पहनती हूँ तो मुझसे शादी कौन करेगा?"
"आपका मतलब, जो लड़कियां हिजाब पहनती है उनकी कभी शादी नहीं होती है?"
"ठीक है! अगर मैं शादी करती हूँ और मेरे पति को यह पसंद नहीं हुआ तो क्या होगा? और उसने मुझे इसे उतारने के लिए कहा तो? "
"क्या होगा? अच्छा एक बात बताओ आप क्या करोगी यदि आपका पति आपके साथ बैंक डकैती पर जाना चाहेगा?"
"यह गलत है, बैंक डकैती के एक अपराध है."
"क्या अपने पैदा करने वाले के हुक्म को ना मानना एक अपराध नहीं है?"
"लेकिन फिर मुझे नौकरी कौन देगा?"
"ऐसी कंपनी जो लोगों के व्यक्तित्व का सम्मान करती हो ना की उसका धर्म देखती हो."
"9-11 के बाद भी?"
"हाँ. 9-11 के बाद भी. क्या तुम हन्नान के बारे नहीं जानती, जिसको अभी मेड स्कूल में नौकरी मिली है? दूसरी एक और लड़की है, क्या नाम है उसका, जो हमेशा एक सफेद... हिजाब ummm पहनी थी ... "
"यास्मीन?"
"हाँ, यास्मीन, उसने अभी अपना एमबीए पूरा किया है और अब जीई (GE) में काम कर रही है"
"आप क्यों धर्म को कपड़े के एक टुकड़े के साथ जोड़ रही हो?"
"आप क्यों ऊँची हील की चप्पल और लिपस्टिक के रंग को नारीत्व के साथ जोड़ रही हो?"
"तुमने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया."
"मैंने जवाब दे दिया है. 'हिजाब' सिर्फ कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है. यह एक कठिन माहौल में खुदा के आदेश का पालन है. यह एक साहस, करने में यकीन तथा सच्चा नारीत्व है. लेकिन आपके छोटे आस्तीन, तंग पैंट... "
"इसे फैशन 'कहा जाता है', आप एक गुफा में रहती हैं या कहीं और? पहली बात तो यह कि हिजाब मर्दों के द्वारा स्थापित किया गया था, जो कि महिलाओं को नियंत्रित करना चाहते हैं"
"सचमुच? मुझे पता नहीं था कि पुरुष महिलाओं को हिजाब के द्वारा नियंत्रण कर सकते हैं?"
"हाँ. यही सच है"
"उन महिलाओं के बारें क्या कहेंगी जो अपने पति से हिजाब पहनने के लिए लडती हैं? और फ्रांस में महिलाओं को पुरुषों के द्वारा हिजाब छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा हैं? इस बारे में आप क्या कहती हैं?"
"यह अलग बात है."
"क्या अंतर है? जो हिजाब पहनने के लिए कह रही है... वह औरत ही है, है ना? क्या उनके हक को दबाना सही है?"
"ठीक है, लेकिन ..."
"लेकिन क्या? पुरुष प्रधान निगमों द्वारा प्रोत्साहित फैशन डिजाइन आपको आज़ादी देते हैं? जो महिलाओं को छोटे-छोटे कपडे पहनाते हैं और उनको एक वस्तु के रूप में इस्तेमाल करते हैं? "
"रुको, मुझे बात समाप्त करने दो, मैं कह रही थी..."
"क्या कह रही थी? क्या आपको लगता है कि पुरुष हिजाब के द्वारा महिलाओं नियंत्रण में रखते हैं? "
"हाँ".
"कैसे?"
"महिलाओं को यह बता कर कि क्या और कैसे पहने!"
"क्या टी. वी. पत्रिकाएँ और फिल्में आपको यह नहीं बताते कि क्या पहनने और 'आकर्षक' कैसे बने?"
"बेशक, यह फैशन है."
"क्या यह नियंत्रण नहीं है? आपको वह पहनाने के लिए लिए दबाव नहीं डालते जो वे पहनाना चाहते हैं?"
शांति.................
"केवल तुमको ही नियंत्रित नहीं, बल्कि पुरे बाजार को नियंत्रित करते हैं."
"क्या मतलब है तुम्हारा?"
"मेरा मतलब है, तुम्हारे दिमाग में डाला जाता है कि पत्रिका के कवर पर छपी अथवा फैशन शो कर रही औरत की तरह बनो और यह सब पत्रिकाओं को डिजाइन करने वाले तथा फैशन शो चलने वालो के द्वारा किया जाता हैं, और ऐसा वह अपने उत्पादों को बेचने के लिए करते हैं."
"मुझे समझ में नहीं आया. हिजाब का उन उत्पादों के साथ क्या ताल्लुक है?"
"इस सबका पूरा सम्बन्ध इस बात से है. क्या आपको नज़र नहीं आता है? हिजाब उपभोक्तावाद के लिए खतरा है, महिलाऐं केवल पतली दिखने के लिए अरबों डॉलर खर्च करती है तथा पुरुषों के द्वारा डिजाइन फैशन के मानकों के तरीके से जीना चाहती हैं... और यहाँ इस्लाम, कह रहा है कि यह सब कचरा तथा बकवास है. हमें अपनी आत्मा पर ध्यान देना चाहिए, ना कि उपरी दिखावे पर. और चिंता मत करो कि पुरुषों क्या क्या सोचते हैं आपके बारे में."
"क्या मुझे हिजाब खरीदने की ज़रूरत नहीं नहीं है? मतलब क्या हिजाब भी एक उत्पाद नहीं है?"
"हाँ, यह एक ऐसा उत्पाद है जिससे कि आप पुरुष प्रधान उपभोक्तावाद से मुक्त होती है."
"मुझे व्याख्यान देना बंद करो! मैं हिजाब नहीं पहनूँगी! यह अजीब है, पुराना है, और इस समाज के लिए पूरी तरह उपयुक्त नहीं है... इसके अलावा, मैं अभी केवल 20 की हूँ और हिजाब पहनने के लिए बहुत कम उम्र की हूँ! "
"ठीक है. यह अपने खुदा से कहना, जब आप इन्साफ के दिन उसका सामना करोगी".
"ठीक है."
"ठीक है."
"चुप रहो और मैं हिजाब, विजाब, निकाब के बारे में और अधिक सुनना नहीं चाहती!"
शांति.................
वह इस समय आईने में खुद के साथ शुरू हुई इस काफी सफल बहस से बहुत थक गई थी. , वह अपने दिल-ओ-दिमाग की आवाज को बंद करने में कामयाब रही थी, अपनी राय पर विजय के साथ इस मामले में उसकी जीत हुई थी. यह एक ऐसा निर्णय था जो कि आधुनिक समाज द्वारा स्वीकार्य, परन्तु खुदा के विश्वास के द्वारा अस्वीकार था: दुनिया के दिखावे के लिए बालों को कर्ल करने के लिए 'हाँ' और हिजाब के लिए 'नहीं'.
"और वह सफल हो गया जिसने उसे (अर्थात अपनी आत्मा को) विकसित किया."
"और वह असफल हो गया जिसने उसे दबा दिया." [पवित्र कुरआन, 91: 9 -10]
इसमें मैंने ऐसा क्या लिखा है जो किसी ने इसे negative वोट दे दिया है?
ReplyDeleteअगर किसी को कुछ बुरा लगा तो यहाँ कहना चाहिए था. बिना बताए Negative वोट देना बहुत ही गलत बात है. यह तो छुप कर वार करने जैसा है, क्या यह पर्दा नहीं है?
ReplyDeleteबहन अंजुम शेख नकारात्मक वोट तो आपके नाम को ही दिया गया होगा । आप कुछ भी लिखती है इससे इन्हे कोई मतलब नही लेकिन आप इसी तरह लिखती रहे
ReplyDeleteबहुत ही मज़ेदार एवं प्रेरणास्त्रोत रचना है. बहुत खूब!
ReplyDelete"और वह सफल हो गया जिसने उसे (अर्थात अपनी आत्मा को) विकसित किया."
ReplyDelete"और वह असफल हो गया जिसने उसे दबा दिया." [पवित्र कुरआन, 91: 9 -10]
अंजुम जी, अगर लाइन में थोडा स्पेस दे दोगी तो पढने में आसानी रहेगी और देखने में भी लेख अच्छा लगेगा. जैसे कि:
ReplyDelete"उन महिलाओं के बारें क्या कहेंगी जो अपने पति से हिजाब पहनने के लिए लडती हैं? और फ्रांस में महिलाओं को पुरुषों के द्वारा हिजाब छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा हैं? इस बारे में आप क्या कहती हैं?"
"यह अलग बात है."
"क्या अंतर है? जो हिजाब पहनने के लिए कह रही है... वह औरत ही है, है ना? क्या उनके हक को दबाना सही है?"
"ठीक है, लेकिन ..."
"लेकिन क्या? पुरुष प्रधान निगमों द्वारा प्रोत्साहित फैशन डिजाइन आपको आज़ादी देते हैं? जो महिलाओं को छोटे-छोटे कपडे पहनाते हैं और उनको एक वस्तु के रूप में इस्तेमाल करते हैं? "
Aurton ko hamesha apne Man ki baat maanni chahiye, aapne sahi keha ki Mard hamesha hamara istemal karna chahie. Hame is baat ko samajhna zaruri hai.
ReplyDeleteआपका लेख है तो रोचक परन्तु इसकी लम्बाई बहुत अधिक बड़ी है. और अंत भी समझ में नहीं आया. अगर हिजाब सही है तो उसने उसे माना क्यों नहीं? और अगर गलत है, तो लगी हुई फोटो गलत है. plz समझाइए.
ReplyDeleteबात और कहने का अंदाज़ दोनों ही अच्छे हैं!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteagree with zishan bhai बात और कहने का अंदाज़ दोनों ही अच्छे हैं!
ReplyDeleteयह एक ऐसा निर्णय था जो कि आधुनिक समाज द्वारा स्वीकार्य, परन्तु खुदा के विश्वास के द्वारा अस्वीकार था: दुनिया के दिखावे के लिए बालों को कर्ल करने के लिए 'हाँ' और हिजाब के लिए 'नहीं'
ReplyDeleteGhar ka internet down hone ki vajah se kal jawab nahi de payi. Ap sabka bahut bahut shukria.
ReplyDeleteचलिए इसी बहाने बहुत सारे विचार जानने को मिले, शुक्रिया।
ReplyDeleteकैसे लिखेगें प्रेमपत्र 72 साल के भूखे प्रहलाद जानी।
bahut achcha likha hai parde se mutallik aur jankari ke liye ye video aur uske parts dekhe aur sune http://www.youtube.com/watch?v=uQBWHWfvcIo
ReplyDeletecomments ko hindi mai kaise likhe aur blogs par hindi mai kaise likhe is baare koi bhai ya bahan mashvira de
ReplyDeleteएक बेहतरीन लेख़ और बेहतरीन पैग़ाम. उम्मीद है आगे भी ऐसे लेख़ पढने को मिलते रहेंगे.
ReplyDeleteछिपा के अगर Negative वोट दिए गए हैं तो यह आप की कामयाबी है. जब कोई सामने से जवाब ना दे सके तो समझ लें आप हक पे हैं.
जिस साहेब को हिंदी टाइप करना है वोह http://www.baraha.com/ पे जा के डाउनलोड के लें.
बात भी अच्छी और लिखने का अंदाज़ भी अच्छा.
ReplyDeleteअंदाजे बयां बहोत सही है ...नासमझो को ना आए समझ तो क्या करे लेखक .
ReplyDeleteविचारों का तर्क अच्छी,प्रस्तुति ।
ReplyDeleteलेख काबिल-ए-तारीफ है
ReplyDeleteअल्लाह पाक सभी मुस्लिम औरतों और बच्चियों को पर्दा करने के तौफीक दे
ReplyDeleteअल्लाह पाक सभी मुस्लिम औरतों और बच्चियों को पर्दा करने के तौफीक दे
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